Friday, April 14, 2017

इन्वेस्टमेंट फोबिया...आप को भी तो नहीं है




फोबिया एक प्रकार का मनोविकार है जिसमे व्यक्ति को विशेष वस्तुओं, परिस्थितयों या किसी विशेष काम से डर लगने लगता हैं. यानी उनकी उपस्थिति से ही घबराहट होती है जब की वह चीज उनके लिए खतरनाक नहीं होती. फोबिया की विशेषता यह होती है कि पीड़ित व्यक्ति की चिंता या घबराहट इस बात को जान कर भी कम नहीं होती कि दुसरे लोगों के लिए वह वस्त्तु या परिस्थिति खतरनाक नहीं है. 

वैसे फोबिया  किसी ना किसी रूप में लगभग सभी लोगों के अन्दर होती है, किसी को ऊंचाई से फोबिया है तो किसी को पानी से, किसी को बंद कमरे से फोबिया है तो किसी को बड़े घर से, किसी को कीड़े से फोबिया है तो किसी को जानवर से, किसी को अंधरे से फोबिया है तो किसी को अधिक रौशनी से, किसी को अपरिचित से फोबिया है तो किसी को भीड़ से, किसी को पब्लिक स्पीकिंग फोबिया है तो किसी को सोशल फोबिया. ऐसा अक्सर देखा गया है लगभग सभी लोग किसी ना किसी चीज से कम या ज्यादा फोबिया होता है.

ऐसे ही एक फोबिया होती है जिसे हम कहते हैं इन्वेस्टमेंट फोबिया. इस फोबिया के बारे में हो सकता है आज आप पहली बार सुन या पढ़ रहे हों लेकिन आप को जानकर यह आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस फोबिया से पीड़ितों की संख्या अन्य फोबिया के पीड़ितों से कही ज्यादा है. तो चलिए समझते हैं इस फोबिया को और जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में और साथ में ही पता करते हैं कहीं आप भी तो इस फोबिया से पीड़ित तो नहीं हैं.

अगर किसी को बैंक से पैसे निकाल कर और कहीं और जगह इन्वेस्ट करने में डर लगता है उसे लगता हो कि पैसे इन्वेस्ट करते ही बाज़ार में मंदी आ जायेगी या उसे पैसे की तुरन्त जरुरत पड़ जायेगी या उसका पैसा कोई गबन कर लेगा, जब की उसकी यह चिंता या घबराहट इस बात से भी कम नहीं होती की दूसरे लोग इन्ही परिस्थितियों में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं और पैसे बना रहे हैं तो वह व्यक्ति इन्वेस्मेंट फोबिया से पीड़ित है. वह इसके लिए कई सारी कहानियाँ सुनाता है जैसे उसके दोस्त के मामा के साथ ऐसा हुआ, वो शेयर डूब गया, वहां पैसे फंस गए.

इन्वेस्टमेंट फोबिया के लक्षण


मूलधन के डूब जाने या नुकसान होने की भावना

अगर किसी को ऐसा लगता है कि वह बैंक से निकाल कर कहीं और निवेश करने में उसे इस बात की चिंता होती है कि उसे नुकसान हो गया तो या उसका पैसा डूब गया तो, चाहे उस निवेश माध्यम में वह रिस्क हो या ना हो तो इसका मतलब है वह व्यक्ति इन्वेस्टमेंट फोबिया से पीड़ित है.

यहाँ या स्पष्ट करना जरुरी है कि निवेश करते समय इस बात को चेक करना कि उसमे क्या रिस्क और क्या रिटर्न है यह जरुरी होता है लेकिन अगर कोई रिस्क के ऊपर ही अपना ध्यान लगा कर चिंताग्रस्त हो जाये और निवेश करने का निर्णय टालता रहे तो उसे जरुरत है एक अच्छे सलाहकार की जो उसे विभिन्न निवेश के माध्यमों में निवेश करने के लाभ हानि समझा सके और उसको सही सलाह दे सके. सुरक्षा का अहसास होना और उसके ऊपर सोच विचार के निवेश करना अलग बात है और असुरक्षा के डर से कहीं निवेश ना करना फोबिया है.

आज मुझे यह ब्लॉग लिखते हुए उस सज्जन की याद आ रही है जो कुछ साल पहले मुझसे मिले थे उनके पास अलग-अलग 15 से ज्यादा बैंक अकाउंट थे और कभी भी चेक 10,000 रुपये से ज्यादा का नहीं काटते थे. मैंने जब उनसे पूछा ऐसा क्यूँ तो उन्होंने मुझे ये बताया कि उन्हें एक या दो बैंक में पैसे रखने में असहजता महसूस होती है, अगर किसी बैंक अकाउंट में कोई फ्रॉड हो जाये तो 14 अकाउंट में तो पैसे सुरक्षित रहेंगे. अपने इस फोबिया के कारण उन्हें 15 से ज्यादा बैंक अकाउंट चलाने में असुविधा होती थी कई बार गलत अकाउंट का चेक काट दिया करते थे लेकिन ये असुविधा उनके लिए उस फोबिया से कहीं ठीक थी. अब ऐसे बेवजह के कारण को आप फोबिया ही कहेंगे.


इन्वेस्टमेंट करते ही खर्चे या जरुरत आने का भय

अगर आप इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय बार-बार इस कारण टालते जाते हैं कि कहीं इन्वेस्टमेंट करते ही आप को पैसे की जरुरत पड गई तो फिर क्या होगा, आप को अपनी पूंजी समय से नहीं निकाल पाए तो क्या होगा. और आपके इन्वेस्टमेंट करने के निर्णय में यह प्रश्न आपके सामने बार-बार आकर खड़ा हो जाये तो समझ लीजिये आप इन्वेस्टमेंट फोबिक हैं.
ऐसे व्यक्ति को यह बात समझ लेनी चाहिए की सारे इन्वेस्टमेंट आप्शन में लॉक इन नहीं होता, हर डिपाजिट फिक्स्ड टाइम के लिए नहीं होती. अपने पैसे को अलग-अलग जगह उनके इन्वेस्टमेंट टाइम होराइजन के हिसाब से लगाइये. आपको ऐसे बहुत से इन्वेस्टमेंट आप्शन मिलेंगे जहाँ पर आप आसानी से कभी भी पैसे लगा सकते हैं और कभी भी निकाल सकते हैं.


बात करना, जानकारी जुटाते रहना लेकिन इन्वेस्टमेंट ना कर पाना

ऐसे भी लोग होते हैं जो पैसे के निवेश के बारे में लोगों से खूब सलाह लेंगे, खूब बाते करेंगे, खूब रिसर्च करेंगे लेकिन जब इन्वेस्टमेंट करने की बारी आएगी तो कोई ना कोई बहाना बना के अपने इन्वेस्टमेंट ना करने के निर्णय को लॉजिकल कारण देंगे. यह लक्षण इन्वेस्टमेंट फोबिया से पीड़ित व्यक्ति का होता है. 



इन्वेस्टमेंट करते ही बाज़ार में मंदी आने का भय

बहुत से लोगों के मन में ये भय होता है उनके इन्वेस्टमेंट करते ही शेयर बाज़ार में गिरावट आ सकती है , जमीन के दाम गिर सकते हैं, अर्थव्यस्था में मंदी आ सकती है और इस कारण वो इन्वेस्टमेंट नहीं करते. ऐसे लोग भी इन्वेस्टमेंट फोबिक हैं. इन्हें यह समझना चाहिए बाज़ार का गिरना या मंदी आने का सम्बन्ध बहुत सारे कारणों से होता है उसमे किसी एक व्यक्ति के पैसे लगाने या ना लगाने से कुछ नहीं होता.
लेकिन शेयर बाज़ार में ग्रीड और फियर फैक्टर हमेशा रहता है, जरुरत है इनसे ऊपर निकाल कर अन्य कारणों को देख कर निवेश करने की.


हमेशा इन्वेस्टमेंट में हुए दूसरों के नुकसान के बारे में बात करना

ऐसे लोग अक्सर मिल जाते हैं जिनके इन्वेस्टमेंट ना करने के निर्णय का कारण उनके दोस्त के बुआ के बेटे के मित्र के चाचा को इन्वेस्टमेंट में हुए नुकसान होता है. उनके पास इन्वेस्टमेंट से जुडी ऐसी रोचक कहानी होती हैं जो कभी मेरी दादी ने भी बचपन में मुझे नहीं सुनाई.अक्सर मेरे इन्वेस्टर अवेयरनेस प्रोग्राम में ऐसे लोग मिल जाते हैं जिन्होंने खुद कभी फिक्स्ड डिपाजिट के अलावा कहीं इन्वेस्टमेंट नहीं किया होता है लेकिन उनके पास ऐसे तमाम लोगों की फर्जी कहानियाँ होती हैं जिन्हें नुकसान हुआ होता है. 
ऐसे लोगों को मै यही सलाह देता हूँ कि दूसरे की सुनी सुनाई बातें, उनकी गलतियाँ और उनके नुकसान से आपके पैसे कैसे बढ़ेंगे, आपको अपने पैसे, अपने अच्छे और सुरक्षित फाइनेंसियल भविष्य के बारे में सोच समझ कर इन्वेस्टमेंट करना चाहिए. पैसे के बारे में सबसे बड़ा रिस्क उसके बेवजह सेविंग या करंट अकाउंट में पड़े रहना है या ऐसी जगह पड़े रहना है जहाँ वो महंगाई के बराबर भी ब्याज या रिटर्न ना कमा पा रहा हो.


बैंक डिपाजिट के अलावा कहीं भी इन्वेस्टमेंट करने की बात पर परेशान हो जाना

अगर किसी को बैंक डिपाजिट के अलावा कोई भी इन्वेस्टमेंट आप्शन की बात करते ही असहजता महसूस होती है तो उसे इन्वेस्टमेंट फोबिया है. बैंक डिपाजिट सुरक्षित और सुविधा जनक तरीका है लेकिन आपको अपने पैसे किसी एक तरह एक इन्वेस्टमेंट आप्शन में नहीं लगाना चाहिए. कॉर्पोरेट डिपाजिट, फिक्स्ड इनकम म्यूच्यूअल फण्ड, P2P लेंडिंग, मार्केट लिंक्ड डिबेंचर जैसे तमाम और ऐसे इन्वेस्टमेंट आप्शन हैं जो आपके लिए बेहतर हो सकते हैं.


लम्बे समय के लिए इन्वेस्टमेंट की बात पर असुरक्षित महसूस करना

5 साल या 10 साल के लिए इन्वेस्टमेंट करने की बात पर असहज या असुरक्षित महसूस करना भी एक तरह का इन्वेस्टमेंट फोबिया है. रियल एस्टेट, इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड और शेयर मार्केट ये सब  लम्बे समय में अच्छा लाभ देते हैं. लम्बे समय में इक्विटी या बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फण्ड से भी अच्छे पैसे बनाये जा सकते हैं. SIP के द्वारा म्यूच्यूअल फण्ड में लम्बे समय का निवेश चमत्कारिक परिणाम देता है. जरुरत है ऐसे निवेश विकल्पों के बारे में सही से समझने और उस पर निर्णय लेने की.


रिसर्च करना लेकिन किसी पर विश्वास ना करना

इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपने सैकड़ों आर्टिकल पढ़ डाले, इन्टरनेट पर सैकड़ों घंटे बिता डाले लेकिन आपको ऐसा लग रहा है कि पूरी जानकारी अभी भी नहीं मिली है या आर्टिकल बहुत कुछ छिपा रहे हैं इसलिए उनपर आप भरोसा नहीं कर पा रहे और इसी कारण आप इन्वेस्टमेंट भी नहीं कर पा रहे. यह लक्षण भी इन्वेस्टमेंट फोबिया के ही हैं. अच्छा होगा की इतना पढ़ने में समय बर्बाद ना कर थोड़े अमाउंट से इन्वेस्टमेंट शुरू करें या पढाई बंद करके अपने काम पर ही ध्यान दें और किसी अच्छे इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से संपर्क करें.


अगर आप ऊपर दिए हुए कोई भी कारण  या लक्षण आपके इन्वेस्टमेंट करने के निर्णय के बीच में आते हैं तो आप इन्वेस्टमेंट फोबिक हैं और आपकी इस समस्या का समाधान बहुत जरुरी है क्यूंकि इस समस्या से ग्रस्त लोग पैसे के मामले में बहुत कच्चे और फाइनेंसियली बहुत असुरक्षित रहते हैं. अच्छे कमाई के बाद भी अपने इस फोबिया के कारण ऐसे लोग अपनी फाइनेंसियल लाइफ सुरक्षित नहीं कर पाते, इन्वेस्टमेंट करते हैं भी तो बुरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स या नॉन-फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स में जो उनको महंगाई बढ़ने के बराबर भी रिटर्न या लाभ नहीं दे पाते.


ऐसे लोगों के पैसे बैंक में या तिजोरी में आराम करते हैं और वो खुद परेशान रहते हैं. इसलिए जरुरी है इस फोबिया के बारे में लोगों में जानकारी हो और इस से उन्हें निकाल कर एक अवेयर इन्वेस्टर बनाने के लिए कुछ किया जाय.

इस फोबिया से निकलना बहुत ही आसान होता है बस आप को कल सुबह उठ कर निर्णय ले लेना है और इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर देना है. जैसी ही आप पहला कदम बढ़ायेंगे आप की चिंता और भय अपने आप कम हो जायेगी. पैसे का सही उपयोग समझना उसे सही से उपयोग और निवेश करना हर व्यक्ति के लिए जरुरी है. अगर आप इन्वेस्टमेंट करने के निर्णय में ये सब बाते आती हैं तो आप अच्छे इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से मिलिए उसे अपनी प्रोफाइल और जरूरते बताइए वो जरुर आप को इसमें मदद कर पायेगा. अगर आप को यह डर है पैसे लगाते ही बाज़ार में मंदी आ जायेगी या मार्केट गिर जायेगी तो एक बार में और एक जगह पैसे मत डालिए.

मनी मैनेजमेंट और इन्वेस्टमेंट आपके लिए जटिल हो सकता है अगर आप सही तरीके से नहीं करते. अपने रिस्क प्रोफाइल, रिटर्न एक्सपेक्टेशन, इन्वेस्टमेंट टाइम होराइजन और फाइनेंसियल गोल्स के हिसाब से म्यूच्यूअल फण्ड जैसे आसान तरीकों में निवेश करिये. PPF, बैंक डिपाजिट, कॉर्पोरेट डिपाजिट में इन्वेस्ट कर के आप रिस्क डायवर्सिफिकेशन कर सकते हैं. इस तरह से आप जल्दी ही इन्वेस्टमेंट फोबिया से मुक्त होंगे और अपने पैसे को और अच्छे से बढ़ता हुआ देखेंगे.

Image Source: https://www.freedigitalphotos.net

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