Saturday, September 7, 2019

क्या 1st Oct से आपकी EMI घटने वाली है?




4th Sept को RBI ने एक नया सर्कुलर जारी किया जिसके अनुसार बैंकों को 1st Oct, 2019 से सारे फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरों को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना होगा.

मीडिया इस सर्कुलर के बारे में  लोगों को इस तरह से बता रही है कि आपके होम लोन और कार लोन की EMI 1st Oct से घटने वाली है. क्या मीडिया का यह विश्लेषण सही है या इसके मायने कुछ और हैं..आइये समझते हैं..

सबसे पहले यह समझते हैं कि फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट लोन क्या है?

फिक्स्ड रेट लोन में ब्याज दरें लोन के रिपेमेंट के दौरान चेंज नहीं होती यानि पूरे समय ब्याज दरें एक ही रहती हैं.

फ्लोटिंग रेट लोन में ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में परिवर्तन के साथ घटती बढती रहती हैं.


क्या है ये नया सिस्टम?

RBI के सर्कुलर के अनुसार सिर्फ फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरों को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ने की बात हो रही है और नई दरें सिर्फ नए लोन पर लागू होंगी. पुराने लोन की ब्याज दरों पर इस सर्कुलर का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह नई व्यवस्था सिर्फ इंडिविजुअल के लिए है, नॉन इंडिविजुअल के लिए नहीं. फिक्स्ड रेट लोन पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी. साथ में ही यह सर्कुलर केवल बैंक के ऊपर लागू होगा किसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी पर नहीं क्यूंकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी अभी भी RBI के अंतर्गत नहीं आती. हालाँकि इस साल के बजट में इनको भी RBI के अंतर्गत लाने की घोषणा हो चुकी है.

अभी तक फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरें बैंक के इंटरनल बेंचमार्क से लिंक रहती थीं.. जैसे PLR, Base Rate और  MCLR (Marginal cost of lending). यह सभी बेंचमार्क, बैंक द्वारा ब्याज दरों को निर्धारित करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर लाये गए. लेकिन RBI को लगता है कि ये सिस्टम अभी भी अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में उतने सफल नहीं रहे. जैसे पिछले 1 वर्ष में RBI ने रेपो रेट में लगभग 1 की कमी की लेकिन बैंको ने ब्याज दरें 0.25%-0.30% तक ही घटाई. इसके उलट जब भी RBI ने पहले रेपो रेट बढ़ाये तो बैंक ब्याज दरें बढ़ाने में  तेजी दिखाते रहे.

इसलिए RBI ने यह निष्कर्ष निकाला कि इंटरनल बेंचमार्क का उपयोग बैंक अपने फायदे के लिए अधिक कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों को घटाने के प्रयास में RBI इसी लिए पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा.

अब इसी समस्या का समाधान करने के लिए RBI ने यह सर्कुलर जारी किया है कि जिस से बैंक आगे से ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए ऐसे बेंचमार्क का प्रयोग करें जिसका नियंत्रण बैंकों के हाथ में ना हो. ऐसे बेंचमार्क जिनका रेट या तो मार्केट से निर्धारित हो रहे हो या RBI से...

जैसे - RBI Repo Rate या 3-6 महीने के सरकारी T-Bill.. 

रेपो रेट जहाँ RBI के कंट्रोल में होता है वहीँ T-Bill के रेट मार्केट निर्धारित करता है

तो अब 1st Oct से बैंक नए फ्लोटिंग रेट लोन पर ब्याज का निर्धारण के लिए Repo rate या T-Bill के rate में अपना Spread जोड़ेगा.. जो कुछ इस तरह से होगा 

New Floating Rate Interest on Loans = External Benchmark + Spread

जहाँ तक बैंक स्प्रेड की बात है वो भी बैंक पहले से निर्धारित करनी होगी और उसमें परिवर्तन की इजाजत RBI किसी विशेष परिस्थति में ही देगा.

क्या पुराने लोन पर नई ब्याज दरें लागू होंगी?

नहीं, पुराने लोन में कोई परिवर्तन नहीं होगा उनकी ब्याज दरों का निर्धारण पुराने सिस्टम यानि MCLR पर ही होगा. यदि आप अपने लोन को नये सिस्टम में लाना चाहेंगे तो बैंक एक निश्चित प्रोसेसिंग फीस लेकर आपके लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक कर देगा लेकिन एक बार आप अपने लोन को नए सिस्टम  में शिफ्ट कर लेते हैं तो फिर आपको पुराने सिस्टम में वापस जाना संभव नहीं होगा.

क्या आपको नए सिस्टम में अपना लोन शिफ्ट कर देना चाहिए?

नया सिस्टम ज्यादा पारदर्शी होगा और बैंको का ब्याज दर निर्धारण पर नियंत्रण कम होगा, जिस से आगे से बैंक अपने अनुकूल ब्याज दरें नहीं निर्धारित कर पायेंगे और उसका फायदा आने वाले समय में निश्चित रूप से आम उपभोक्ता को मिलेगा. इसलिए मुझे लगता है कि अच्छा होगा अपने लोन इस सिस्टम में शिफ्ट कर लें.

1st Oct के बाद अपने बैंक से इस नए सिस्टम के बारे में अवश्य पूछताछ करिये, अगर आपको लगे नए सिस्टम के अंतर्गत आप को लोन ट्रान्सफर करने में फायदा है तो जरुर करिये.
  

RBI इस बार यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास कर रहा है कि बैंक के पास नए सिस्टम को सही तरह से लागू करें इसलिए RBI ने यह भी आदेश दिया है कि बैंक अपनी सुविधा अनुसार बेंचमार्क को समय-समय पर ना बदलें. मतलब एक तरह के लोन के लिए एक बेंचमार्क होगा, जैसे होम लोन को अगर बैंक ने Repo से लिंक किया है तो सभी लोगों को होम लोन Repo से ही लिंक रहेगा साथ ही ब्याज को रिसेट करने का विकल्प भी लोन लेने वालों को 3 महीने में एक बार मिलेगा.

निश्चित रूप से नई व्यवस्था बैंक के लिए उतनी अच्छी नहीं है, क्यूँकि बैंक के कण्ट्रोल में बेंचमार्क रेट होंगे नहीं और वो अपना स्प्रेड भी आसानी से चेंज ना ही कर पाएंगे. ऐसे में बैंक के ग्राहकों के लिए यह व्यवस्था अच्छी है क्यों कि यह अधिक पारदर्शी है और RBI द्वारा लिए गए फैसलों का प्रभाव उनके लोन पर जल्दी और लगभग  पूरी तरह से पड़ेगा.

यदि ब्लॉग आप को उपयोगी लगे तो अपने परिवारजनों, मित्रों एवं शुभ चिंतको को अवश्य फॉरवर्ड करें. 


1 comment:

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